बंद होगी हिंदुस्‍तान केबल्‍स, 1500 कर्मचारियों को VRS देगी सरकार

नई दिल्‍ली. सरकार अब अपनी बीमार कंपनी हिंदुस्‍तान केबल्‍स को बंद करेगी। पीएम नरेंद्र मोदी की अध्‍यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट मीटिंग में 4,777 करोड़ रुपए के हिंदुस्‍तान केबल्‍स के क्‍लोजर प्‍लान को मंजूरी दे दी गई। इस रकम का इस्‍तेमाल वेतन और वीआरएस के पेमेंट व सरकारी लोन को इक्विटी में कन्‍वर्ट करने के लिए किया जाएगा। कंपनी एक दशक से ज्‍यादा समय से बीमार यूनिट में शामिल है। अभी कंपनी पर 3,139 करोड़ रुपए का घाटा है। सरकार इसमें कुल 1,309.90 करोड़ रुपए कैश के रूप में 30 सितंबर, 2016 तक बकाया लोन को इक्विटी में तब्दील करने के लिए नॉन कैश के तौर पर कुल 3,467.15 करोड़ रुपए लगाएगी।
क्‍यों बंद हो रही हिंदुस्‍तान केबल्‍स?
- हिंदुस्‍तान केबल्‍स एक दशक से भी ज्‍यादा समय से बीमार है।
- मौजूदा समय में कंपनी करीब 3,139 करोड़ रुपए के घाटे में है।
- टेलिकॉम इं‍डस्‍ट्री 1990 के दौर तक आते-आते टेलिकॉम इंडस्‍ट्री में बड़े बदलाव देखते को मिले।
- इसके चलते वक्त बदलने के साथ ही कंपनी के प्रोडक्‍ट इंडस्‍ट्री की जरूरतों के हिसाब से आउटडेट हो गए।
- नतीजा यह है कि BSNL और MTNL जैसी सरकारी कंपनियों भी अब यह केबल नहीं यूज कर रही हैं।
- कंपनी की नैनी (इलाहाबाद) यूनिट ऑप्टिकल फाइबल केबल बनाती तो है, लेकिन ये केबल अब आउटडेटेड हो चुकी हैं।
क्‍या करती है कंपनी?

- हिंदुस्‍तान केबल्‍स मूल तौर पर टेलिफोन लाइन्‍स के लिए केबल बनाने का काम करती है।
- कंपनी पोलिथिन फिलेड जेली केबल, ऑप्टिकल फाइबर केबल्‍स, एरियल आप्टिकल फाइबर केबल्‍स बनाती है।
1994 से घाटे में है कंपनी
- पश्चिम बंगाल के रूपनाराणपुर में 1952 में स्‍थापित यह कंपनी उदारीकरण के दौर तक प्रॉफिट में रही।
- 1994 तक आते-आते कहानी पूरी तरह उलट गई और कंपनी घाटे में चली गई।
- कंपनी में करीब 7 हजार कर्मचारी काम किया करते थे। अभी महज 15 सौ कर्मचारी ही बचे हैं।
- कंपनी की हैदराबाद और पश्चिम बंगाल यूनिट में 2003 से ही प्रोडक्‍शन बंद हो चुका है।
- इन दोनों जगहों पर पर पोलिथिन इन्‍स्‍युलेटेड जेली फिलेड (PIJF) केबल का प्रोडक्‍शन होता था।

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