ऑनलाइन ट्रांजैक्शंस को बढ़ावा देने के लिए आए दिन नए एलान कर रही सरकार
को डाटा कनेक्टिविटी पर भी ध्यान देने की जरूरत है। देश के दूर-दराज के
इलाकों की नहीं, राजधानी दिल्ली में भी डाटा सर्विस मापदंडों पर खरी नहीं
उतरती। दिल्ली की भीड़-भाड़ वाले इलाकों में डाटा कनेक्टिविटी की पड़ताल की
है हमारी संवाददाता दिपाली नंदा ने।
नोटबंदी के बाद सरकार गांव-गांव तक इंटरनेट की सुविधा देने पर जोर दे रही है, लेकिन शहरों में डाटा कनेक्टिविटी का क्या हाल है, इसका जायजा लेने के लिए सीएनबीसी-आवाज़ की टीम पहुंची दिल्ली के इंडिया गेट इलाके में। साफ है कि इंडिया गेट और आसपास के इलाकों में वोडाफोन, आइडिया और एयरटेल की डाटा स्पीड एवरेज से भी कम लाल निशान में दिखी।
इंडिया गेट के बाद हम गए दिल्ली के फेमस मार्केट कनॉट प्लेस में। दिल्ली के इंडिया गेट और कनॉट प्लेस जैसी जगहों पर देश की तीनों टॉप टेलीकॉम कंपनियां डाटा स्पीड के मामले में फेल दिखीं। सरकारी कंपनी बीएसएनएल का प्रदर्शन तो एवरेज से भी कम दिखा। टेलीकॉम कंपनियों के खराब डाटा स्पीड की जानकारी जब हमने ट्राई चेयरमैन आर एस शर्मा को दी, तो उन्होंने माना कि डिजिटल इंडिया की कामयाबी के लिए डाटा कनेक्टिविटी का बेहतर होना जरूरी है।
राजधानी दिल्ली की ये डिजिटल तस्वीर दरअसल सबूत है डिजिटल इंडिया की सच्चाई का। जब देश की सत्ता के केंद्र में उसकी फ्लैगशिप स्कीम का ये हाल है, तो बाकी इलाकों की सुध लेने वाला कौन है।
नोटबंदी के बाद सरकार गांव-गांव तक इंटरनेट की सुविधा देने पर जोर दे रही है, लेकिन शहरों में डाटा कनेक्टिविटी का क्या हाल है, इसका जायजा लेने के लिए सीएनबीसी-आवाज़ की टीम पहुंची दिल्ली के इंडिया गेट इलाके में। साफ है कि इंडिया गेट और आसपास के इलाकों में वोडाफोन, आइडिया और एयरटेल की डाटा स्पीड एवरेज से भी कम लाल निशान में दिखी।
इंडिया गेट के बाद हम गए दिल्ली के फेमस मार्केट कनॉट प्लेस में। दिल्ली के इंडिया गेट और कनॉट प्लेस जैसी जगहों पर देश की तीनों टॉप टेलीकॉम कंपनियां डाटा स्पीड के मामले में फेल दिखीं। सरकारी कंपनी बीएसएनएल का प्रदर्शन तो एवरेज से भी कम दिखा। टेलीकॉम कंपनियों के खराब डाटा स्पीड की जानकारी जब हमने ट्राई चेयरमैन आर एस शर्मा को दी, तो उन्होंने माना कि डिजिटल इंडिया की कामयाबी के लिए डाटा कनेक्टिविटी का बेहतर होना जरूरी है।
राजधानी दिल्ली की ये डिजिटल तस्वीर दरअसल सबूत है डिजिटल इंडिया की सच्चाई का। जब देश की सत्ता के केंद्र में उसकी फ्लैगशिप स्कीम का ये हाल है, तो बाकी इलाकों की सुध लेने वाला कौन है।
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