सोनभद्र: रिलायंस जियो के बेहतरीन आफर और अन्य टेलीकाम कंपनियों की
अच्छी सर्विस के बीच भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) को अपने फिसड्डी
होने डर सताने लगा है। इस विभाग के लोगों की ¨चता है कि अगर बेहतर सर्विस
नहीं मिली तो उपभोक्ताओं का विश्वास हमसे टूट जाएगा।
अगर यह टूटा तो भारी राजस्व का नुकसान भी हो सकता है। इसके साथ ही साख पर भी असर पड़ेगा।
सूत्रों की मानें तो जिले में हर महीने ढाई से तीन करोड़ रुपये का राजस्व देने वाला बीएसएनएल इनदिनों अन्य सरकारी, प्राइवेट विभागों की कार्यप्रणाली से परेशान है। कभी सड़क के निर्माण तो कभी नालियों की मरम्मत के लिए जेसीबी मशीन लगाकर गड्ढे खोदवाए जाते हैं। इस दौरान अक्सर ओएफसी (आप्टिकल फाइवर केबिल) कट जाती है। केबिल कटने के कारण कई-कई घंटे टेलीफोन से लेकर ब्राडबैंड सेवा बाधित रहती है। कई बार तो मोबाइल की भी सेवाएं बाधित हो जाती हैं। काफी मशक्कत के बाद तब कहीं जाकर संचार व्यवस्थाएं बहाल होती हैं। इससे लाखों रुपये के राजस्व का भी नुकसान होता है। विभागीय अधिकारियों की मानें तो राजस्व के साथ-साथ सबसे ज्यादा नुकसान विश्वसनीयता का होता है। बार-बार सेवा बाधित होने से उपभोक्ता दूसरी टेलीकाम कंपनियों की तरफ आकर्षित होते हैं। अगर यह इसी तरह बार-बार होता रहा तो ज्यादा नुकसान हो सकता है।
मनमाने कार्य भी डालते हैं असर
बीएसएनएल की सेवाएं प्रभावित करने में मनमाने कार्य भी काफी अहम भूमिका निभाते हैं। विभागीय सूत्रों की मानें तो चाहे सरकारी काम हो या प्राइवेट, सड़क का काम कराने के दौरान अगर पहले से थोड़ी सावधानी बरती जाएं तो तार नहीं कटेंगे। कई बार तो विभिन्न विभाग बिना बीएसएनएल को जानकारी दिए ही सड़क की खोदाई शुरू कर देते हैं। उन्हें पता भी नहीं होता है कि सही में टेलीफोन का तार कहां है। ऐसे में बार-बार तार कटते हैं।
इस तरह हो सकता है समाधान
- कहीं भी खोदाई का कार्य कराने से पहले बीएसएनएल के अधिकारियों से संपर्क करें।
- जहां टेलीफोन का तार हो वहां मशीन से नहीं बल्कि मजदूरों से कार्य हो।
- सरकारी व प्राइवेट सभी विभाग टेलीफोन से जुड़े हैं इस लिए कार्य दौरान मनमानी पर रोक लगे।
- सभी विभागों से सामंजस्य बनाया जाना चाहिए।
बोले जिम्मेदार..
मनमाना तरीके से होने वाले कार्यों के कारण अक्सर केबिल कटती है। उससे राजस्व का तो नुकसान होता ही है सबसे ज्यादा नुकसान विश्वास पर पड़ रहा है। उपभोक्ता को सर्विस चाहिए होती है। अगर सर्विस अच्छी नहीं मिलेगी तो उपभोक्ता किसी अन्य टेलीकाम कंपनी की तरफ आकर्षित हो सकते हैं।
-धर्मेद्र कुमार, एसडीओ।
अगर यह टूटा तो भारी राजस्व का नुकसान भी हो सकता है। इसके साथ ही साख पर भी असर पड़ेगा।
सूत्रों की मानें तो जिले में हर महीने ढाई से तीन करोड़ रुपये का राजस्व देने वाला बीएसएनएल इनदिनों अन्य सरकारी, प्राइवेट विभागों की कार्यप्रणाली से परेशान है। कभी सड़क के निर्माण तो कभी नालियों की मरम्मत के लिए जेसीबी मशीन लगाकर गड्ढे खोदवाए जाते हैं। इस दौरान अक्सर ओएफसी (आप्टिकल फाइवर केबिल) कट जाती है। केबिल कटने के कारण कई-कई घंटे टेलीफोन से लेकर ब्राडबैंड सेवा बाधित रहती है। कई बार तो मोबाइल की भी सेवाएं बाधित हो जाती हैं। काफी मशक्कत के बाद तब कहीं जाकर संचार व्यवस्थाएं बहाल होती हैं। इससे लाखों रुपये के राजस्व का भी नुकसान होता है। विभागीय अधिकारियों की मानें तो राजस्व के साथ-साथ सबसे ज्यादा नुकसान विश्वसनीयता का होता है। बार-बार सेवा बाधित होने से उपभोक्ता दूसरी टेलीकाम कंपनियों की तरफ आकर्षित होते हैं। अगर यह इसी तरह बार-बार होता रहा तो ज्यादा नुकसान हो सकता है।
मनमाने कार्य भी डालते हैं असर
बीएसएनएल की सेवाएं प्रभावित करने में मनमाने कार्य भी काफी अहम भूमिका निभाते हैं। विभागीय सूत्रों की मानें तो चाहे सरकारी काम हो या प्राइवेट, सड़क का काम कराने के दौरान अगर पहले से थोड़ी सावधानी बरती जाएं तो तार नहीं कटेंगे। कई बार तो विभिन्न विभाग बिना बीएसएनएल को जानकारी दिए ही सड़क की खोदाई शुरू कर देते हैं। उन्हें पता भी नहीं होता है कि सही में टेलीफोन का तार कहां है। ऐसे में बार-बार तार कटते हैं।
इस तरह हो सकता है समाधान
- कहीं भी खोदाई का कार्य कराने से पहले बीएसएनएल के अधिकारियों से संपर्क करें।
- जहां टेलीफोन का तार हो वहां मशीन से नहीं बल्कि मजदूरों से कार्य हो।
- सरकारी व प्राइवेट सभी विभाग टेलीफोन से जुड़े हैं इस लिए कार्य दौरान मनमानी पर रोक लगे।
- सभी विभागों से सामंजस्य बनाया जाना चाहिए।
बोले जिम्मेदार..
मनमाना तरीके से होने वाले कार्यों के कारण अक्सर केबिल कटती है। उससे राजस्व का तो नुकसान होता ही है सबसे ज्यादा नुकसान विश्वास पर पड़ रहा है। उपभोक्ता को सर्विस चाहिए होती है। अगर सर्विस अच्छी नहीं मिलेगी तो उपभोक्ता किसी अन्य टेलीकाम कंपनी की तरफ आकर्षित हो सकते हैं।
-धर्मेद्र कुमार, एसडीओ।
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