सरकारी कंपनियों में विनिवेश और बंदी की प्रक्रिया शुरू

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने बुरी तरह घाटे में पहुंच कर बीमार हो चुके सार्वजनिक उपक्रमों (पीएसयू) को बंद करने अथवा उनमें रणनीतिक विनिवेश की शुरुआत कर दी है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को भारत पंप्स एंड कंप्रेसर लिमिटेड में रणनीतिक विनिवेश के प्रस्ताव को सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान कर दी।

इसके अलावा हिंदुस्तान केबल्स लिमिटेड (एचसीएल) को बंद करने के लिए 4,777 करोड़ रुपये के वित्तीय पैकेज के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई है। विनिवेश की प्रक्रिया में सरकार ने बुरी तरह घाटे में चल रही सरकारी कंपनियों की एक सूची तैयार की है। इसके तहत जिन कंपनियों में सुधार की एकदम गुंजाइश नहीं है, उन्हें बंद कर दिया जाएगा। साथ ही सरकार ने ऐसी कंपनियों की सूची भी बनाई है, जिनमें रणनीतिक विनिवेश किया जाना है।
रणनीतिक विनिवेश के तहत पीएसयू में सरकार की 50 फीसद तक भागीदारी सीधे निजी निवेशकों को सौंपने का प्रावधान है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) की बैठक में भारत पंप्स में सरकारी हिस्सेदारी के एक हिस्से को रणनीतिक भागीदार को सौंपने के प्रस्ताव पर सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान कर दी गई।
इलाहाबाद स्थित इस कंपनी के लिए 111.59 करोड़ रुपये का वित्तीय पैकेज भी मंजूर किया गया है। इस राशि से अवकाश प्राप्त कर्मचारियों के बकाये (पीएफ और ग्रेच्युटी शामिल) का भुगतान किया जाएगा। इसके अलावा कंपनी पर केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआइएसएफ) के बकाये का भुगतान भी इस राशि से किया जाना है।
एचसीएल को 4777 करोड़ का पैकेज
कैबिनेट के अन्य फैसले में कैबिनेट ने हिंदुस्तान केबल्स को बंद करने के प्रस्ताव को हरी झंडी दी गई। इसके तहत कंपनी के लिए 4777.05 करोड़ रुपये का वित्तीय पैकेज भी मंजूर किया गया है। इससे कर्मचारियो के वेतन का भुगतान किया जा सकेगा और समय से पहले रिटायरमेंट के लिए स्कीम (वीआरएस) लाई जा सकेगी। इस राशि का इस्तेमाल कंपनी के कर्ज को इक्विटी में तब्दील करने के लिए भी किया जाएगा।
सरकारी बयान में कहा गया है कि कर्मचारियों को 2007 के वेतनमान पर वीआरएस की पेशकश की जाएगी। कंपनी में बंद है 2003 से उत्पादन बयान के मुताबिक कंपनी की संपत्तियों की बिक्री सार्वजनिक उपक्रम विभाग (डीपीई) के दिशानिर्देशों के मुताबिक की जाएगी।
कंपनी को वित्तीय पैकेज के तहत 1309.90 करोड़ नकद मिलेंगे। जबकि 3,467.15 करोड़ रुपये की वित्तीय मदद कर्ज को इक्विटी में बदलने के काम आएगी। इस कंपनी में जनवरी, 2003 के बाद से उत्पादन नहीं हो रहा है। कंपनी के सभी कर्मचारियों के वेतनमान में भी 1997 के बाद से कोई बदलाव नहीं हुआ है। एचसीएल की स्थापना 952 में हुई थी।
इस कंपनी की चार यूनिटें- रूपनारायणपुर और नरेंद्रपुर पश्चिम बंगाल में, हैदरबाद तेलंगाना में और नैनी (इलाहाबाद) उत्तर प्रदेश में हैं। इसकी स्थापना सरकारी क्षेत्र की दूरसंचार कंपनियों- बीएसएनएल और एमटीएनएल की जरूरतों को पूरा करने के मकसद से की गई थी।

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