एक कंपनी के ऑफर की बौछार में फंसी मोबाइल की अधिकांश कंपनियांे के सामने अपनी साख बचाने की चिंता सताने लगी है। यूजर्स हैं कि उन्हें जहां फायदा होगा वे वहीं जाएंगे। मगर लंबे समय से किसी एक कंपनी की सेवा लेने वाले यूजर्स को जब उसी कंपनी से धोखा मिलने लगे तो भला वह क्यों सेवा लेना चाहेंगे।
यही नहीं कंपनियाें के अधिकृत कर्मी भी जब उनकी समस्या को हल करने के बजाय उलझाने में रुचि लेंगे तो ऐसी कंपनी का भट्टा बैठना निश्चित है।
जिले में बीएसएनएल, आइडिया, एयरटेल, रिम, रिलायंस, टाटा डोकोमो के बड़ी संख्या में यूजर्स हैं। ये कंपनियां भी अपने यूजर्स को एक से बढ़कर एक ऑफर देकर उनके बीच अपनी विश्वसनीयता बनाए हुई थीं। परन्तु अब दाव उल्टा पड़ने लगा है। क्योंकि यूजर्स कंपनी के उसी नंबर को किसी अन्य कंपनी के नंबर में परिवर्तित कराने लगे हैं। जो पोस्ट-पेड यूजर्स हैं वे प्री-पेड में कन्वर्ट होने लगे हैं तो प्री-पेड वाले किसी अन्य कंपनी की सेवा लेने आवेदन करने लगे हंै। जिसमें सबसे ज्यादा आइिडया के यूजर्स हैं जो जियो या फिर किसी अन्य कंपनी की सेवा लेना चाहते हैं। यह सब खेल जियो के लांचिंग के बाद शुरु हुआ है। इस खेल के फेर में यूजर्स की बड़ी संख्या को लेकर दंभ भरने वाली कंपनियाें के सामने संकट मडराने लगा है। क्योंकि लगभग सभी के ऑफर चाहे नेट पैक हो या टॉक टाइम महंगे हैं। ऐसे में कंपनियों के अधिकृत एंजेसियों में बैठे लोग यूजर्स को गुमराह करने लगे हैं। यही नहीं महंगे आफर के बाद भी सेवा लेने वाले यूजर्स को सही जानकारी नहीं दी जाती है। हालात यह है कि पिछले 15 साल के आइडिया की सेवा लेने वाले कस्टर भी अब उससे तौबा करने लगे हैं।
निहारिका क्षेत्र में रहने वाले ज्ञानेन्द्र सिंह ने बताया कि लगभग 10 साल से आइडिया कंपनी की मोबाइल सेवा ले रहे हैं। पोस्टपेड यूजर्स हैं। कुछ दिनों पहले उन्हें प्रदेश से बाहर जाना पड़ा इसलिए उन्होंने 400 रुपए का पैक लिए। जिसके लिए कंपनी की लिमिट थी। यूज करने के दौरान उन्हें िलमिट का ध्यान नहीं रहा और कंपनी हर सेकेंड का बिल जोड़ने लगी। जिसकी जानकारी उन्हें नहीं दी गई। नियमत: जब पैक खत्म होता है तो कंपनी का मैसेज मिलता है। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ और उनका बिल 17 सौ रुपए पहुच गया। एक सप्ताह तक बाहर रहने के दौरान कंपनी ने बीच में सेवा देना भी बंद कर दिया। जिसके कारण अब वे कंपनी की सेवा से मुक्त होना चाहते हैं। लेकिन कंपनी में कोई सुनवाई नहीं होती।
प्रदेश मेंे जिम्मेदार नहीं, शिकायत दर्ज करें कंपनी को बता देंगे
छत्तीसगढ़ में कोई जिम्मेदार व्यक्ति नहीं है। आप अपनी शिकायत दर्ज करा दीजिए हम कंपनी को अवगत करा देंगे। जहां तक पोस्टपेड से प्री-पेड में कन्वर्ट कराने का सवाल है आवेदन कर दें। लेकिन परिवर्तन होना संभव नहीं है। -कविता, एक्जीक्यूटिव, आइडिया
वर्तमान में अगर आप पोस्टपेड यूजर हैं और अब सेवा को प्री-पेड में कन्वर्ट कराना चाहते हैं तो आसान नहीं होगा। सबसे ज्यादा परेशानी आइडिया के यूजर्स के सामने आ रही है। टीपीनगर में बैठे कंपनी के अधिकृत कर्मी आवेदन करने की सलाह तो देते हैं लेकिन वे यह भी बता देते हैं कि उनके आवेदन को आगे बढ़ा देंगे पर यह कहना संभव नहीं होगा कि कब तक सुविधा मिल जाएगी।
जियो के कारण मुसीबत में हैं मोबाइल की अन्य कंपनियां
वर्तमान में जियो सिम की ताबड़तोड़ बिक्री हुई है। जियो से मिलने वाली नेट के साथ टॉकिंग की सुविधा को लेकर लगभग सभी मोबाइल कंपनियां पशोपेश में हैं। ऐसे में अगर कोई उपभोक्ता अपने नंबर को दूसरी कंपनी के नंबर में मर्ज कराना चाहता है तो संबंधित कंपनियां कन्नी काटने लगी हैं। क्योंकि ऐसा करने लगे तो उनके यूजर्स कम हो जाएंगे और कंपनी लॉस में आ जाएगी।
एक्जीक्यूटिव के भरोसे चल रहा है आइडिया का दफ्तर
आइडिया का कोई यूजर अपनी समस्या के समाधान के लिए कंपनी के अधिकृत दफ्तर में शिकायत करते हैं तो उनकी शिकायतों को वहां मौजूद कर्मी तवज्जो तक नहीं देते। यही नहीं जब उन्हें उनके उपर के जिम्मेदार कर्मचारी का कांटेक्ट नंबर मांगा जाता है तो उनका जवाब यही होता है कि उनके उपर कोई नहीं है। जो भी शिकायत करनी है यही करनी होगी।
यही नहीं कंपनियाें के अधिकृत कर्मी भी जब उनकी समस्या को हल करने के बजाय उलझाने में रुचि लेंगे तो ऐसी कंपनी का भट्टा बैठना निश्चित है।
जिले में बीएसएनएल, आइडिया, एयरटेल, रिम, रिलायंस, टाटा डोकोमो के बड़ी संख्या में यूजर्स हैं। ये कंपनियां भी अपने यूजर्स को एक से बढ़कर एक ऑफर देकर उनके बीच अपनी विश्वसनीयता बनाए हुई थीं। परन्तु अब दाव उल्टा पड़ने लगा है। क्योंकि यूजर्स कंपनी के उसी नंबर को किसी अन्य कंपनी के नंबर में परिवर्तित कराने लगे हैं। जो पोस्ट-पेड यूजर्स हैं वे प्री-पेड में कन्वर्ट होने लगे हैं तो प्री-पेड वाले किसी अन्य कंपनी की सेवा लेने आवेदन करने लगे हंै। जिसमें सबसे ज्यादा आइिडया के यूजर्स हैं जो जियो या फिर किसी अन्य कंपनी की सेवा लेना चाहते हैं। यह सब खेल जियो के लांचिंग के बाद शुरु हुआ है। इस खेल के फेर में यूजर्स की बड़ी संख्या को लेकर दंभ भरने वाली कंपनियाें के सामने संकट मडराने लगा है। क्योंकि लगभग सभी के ऑफर चाहे नेट पैक हो या टॉक टाइम महंगे हैं। ऐसे में कंपनियों के अधिकृत एंजेसियों में बैठे लोग यूजर्स को गुमराह करने लगे हैं। यही नहीं महंगे आफर के बाद भी सेवा लेने वाले यूजर्स को सही जानकारी नहीं दी जाती है। हालात यह है कि पिछले 15 साल के आइडिया की सेवा लेने वाले कस्टर भी अब उससे तौबा करने लगे हैं।
निहारिका क्षेत्र में रहने वाले ज्ञानेन्द्र सिंह ने बताया कि लगभग 10 साल से आइडिया कंपनी की मोबाइल सेवा ले रहे हैं। पोस्टपेड यूजर्स हैं। कुछ दिनों पहले उन्हें प्रदेश से बाहर जाना पड़ा इसलिए उन्होंने 400 रुपए का पैक लिए। जिसके लिए कंपनी की लिमिट थी। यूज करने के दौरान उन्हें िलमिट का ध्यान नहीं रहा और कंपनी हर सेकेंड का बिल जोड़ने लगी। जिसकी जानकारी उन्हें नहीं दी गई। नियमत: जब पैक खत्म होता है तो कंपनी का मैसेज मिलता है। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ और उनका बिल 17 सौ रुपए पहुच गया। एक सप्ताह तक बाहर रहने के दौरान कंपनी ने बीच में सेवा देना भी बंद कर दिया। जिसके कारण अब वे कंपनी की सेवा से मुक्त होना चाहते हैं। लेकिन कंपनी में कोई सुनवाई नहीं होती।
प्रदेश मेंे जिम्मेदार नहीं, शिकायत दर्ज करें कंपनी को बता देंगे
छत्तीसगढ़ में कोई जिम्मेदार व्यक्ति नहीं है। आप अपनी शिकायत दर्ज करा दीजिए हम कंपनी को अवगत करा देंगे। जहां तक पोस्टपेड से प्री-पेड में कन्वर्ट कराने का सवाल है आवेदन कर दें। लेकिन परिवर्तन होना संभव नहीं है। -कविता, एक्जीक्यूटिव, आइडिया
वर्तमान में अगर आप पोस्टपेड यूजर हैं और अब सेवा को प्री-पेड में कन्वर्ट कराना चाहते हैं तो आसान नहीं होगा। सबसे ज्यादा परेशानी आइडिया के यूजर्स के सामने आ रही है। टीपीनगर में बैठे कंपनी के अधिकृत कर्मी आवेदन करने की सलाह तो देते हैं लेकिन वे यह भी बता देते हैं कि उनके आवेदन को आगे बढ़ा देंगे पर यह कहना संभव नहीं होगा कि कब तक सुविधा मिल जाएगी।
जियो के कारण मुसीबत में हैं मोबाइल की अन्य कंपनियां
वर्तमान में जियो सिम की ताबड़तोड़ बिक्री हुई है। जियो से मिलने वाली नेट के साथ टॉकिंग की सुविधा को लेकर लगभग सभी मोबाइल कंपनियां पशोपेश में हैं। ऐसे में अगर कोई उपभोक्ता अपने नंबर को दूसरी कंपनी के नंबर में मर्ज कराना चाहता है तो संबंधित कंपनियां कन्नी काटने लगी हैं। क्योंकि ऐसा करने लगे तो उनके यूजर्स कम हो जाएंगे और कंपनी लॉस में आ जाएगी।
एक्जीक्यूटिव के भरोसे चल रहा है आइडिया का दफ्तर
आइडिया का कोई यूजर अपनी समस्या के समाधान के लिए कंपनी के अधिकृत दफ्तर में शिकायत करते हैं तो उनकी शिकायतों को वहां मौजूद कर्मी तवज्जो तक नहीं देते। यही नहीं जब उन्हें उनके उपर के जिम्मेदार कर्मचारी का कांटेक्ट नंबर मांगा जाता है तो उनका जवाब यही होता है कि उनके उपर कोई नहीं है। जो भी शिकायत करनी है यही करनी होगी।
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